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iHostage: अम्स्टर्डैम के ऐपल स्टोर में हुए होस्टेज केस की असली कहानी

iHostage: अम्स्टर्डैम के ऐपल स्टोर में हुए होस्टेज केस की असली कहानी
在 निशांत भटनागर 27 नव॰ 2025

2022 में अम्स्टर्डैम के लैइडस्पलेइन ऐपल स्टोर में एक असली होस्टेज केस दुनिया भर में चर्चा में आया था। आज, उसी घटना को आधार बनाकर बनाई गई डच फिल्म iHostage (2025) नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है, जो बस एक थ्रिलर नहीं, बल्कि एक सामाजिक आईना है — जहां टेक्नोलॉजी के घर में इंसानी कमजोरियां उजागर होती हैं। फिल्म के निर्देशक बॉबी बोरमन ने इसे इतनी निडर और वास्तविकता से दर्शाया है कि दर्शक महसूस करते हैं कि वे कैमरे के पीछे नहीं, बल्कि ऐपल स्टोर के अंदर खड़े हैं।

घटना का असली चेहरा: ऐपल स्टोर में एक आम आदमी का बगावत

फिल्म की शुरुआत एक साधारण खरीदारी से होती है — इलियन (अदमीर शेहोविच) अपने लिए एयरपॉड्स खरीदने आता है। तभी सूफियान मूसूली अपने हथियार लेकर अंदर घुसता है। वह कोई धर्मी आतंकवादी नहीं, न ही कोई सामाजिक विद्रोही। वह एक ऐसा आदमी है जिसके पास नौकरी नहीं, घर नहीं, और अब न तो उम्मीद है और न ही कोई सुनने वाला। उसकी मांग है — करोड़ों डॉलर। लेकिन वास्तव में, वह सिर्फ एक आवाज़ चाहता है।

किरदारों का मानवीय चित्रण: नायक नहीं, बल्कि भावनाएं

फिल्म में कोई नायक नहीं, कोई शत्रु नहीं — बस लोग हैं, जो डर के सामने अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया देते हैं। लोएस हेवरकोर्ट जिस तरह से होस्टेज नेगोशिएटर लिन की भूमिका निभाती हैं, वह एक असली पुलिस अधिकारी जैसी लगती हैं — थकी हुई, थोड़ी अनिश्चित, और बेचारी तरीके से अपना काम करती हुई। वह कहती हैं, “शायद वह मानसिक रूप से बीमार है।” यह बात फिल्म के सार को समझाती है — यह कोई आतंकवाद की कहानी नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय विफलता की कहानी है।

एम्मानुएल ओहेने बोआफो जो ऐपल स्टोर के कर्मचारी मिंगस की भूमिका निभाते हैं, वे फिल्म का सबसे अनोखा तत्व हैं। वे न केवल एक कर्मचारी हैं, बल्कि एक अंतर्दृष्टि भी — जो बताते हैं कि कैसे एक टेक कंपनी का स्टोर, जो दुनिया भर में आधुनिकता का प्रतीक है, वहीं एक इंसान के टूटने का साक्षी बन जाता है।

पुलिस की असमर्थता: एक डच दर्द

एक आईएमडीबी उपयोगकर्ता जो खुद डच है, उन्होंने फिल्म के बारे में लिखा — “मैंने असली घटना के बारे में खबरें पढ़ी थीं। इसे फिल्म में देखकर लगा जैसे कोई मेरे दिमाग के अंदर घुस गया हो।” उनका सबसे बड़ा आरोप? पुलिस की असमर्थता। फिल्म में दिखाया गया है कि जब एक आदमी अपने हथियार से घेरा बनाता है, तो पुलिस इंतजार करती है — इंतजार करती है आदेश, इंतजार करती है बैठक, इंतजार करती है फीडबैक। जब तक आदेश नहीं आता, तब तक कोई भी कदम नहीं उठाता। यह डच पुलिस की वास्तविकता है। और यह दर्द अम्स्टर्डैम के हर नागरिक के दिल में बसता है।

कला और वास्तविकता के बीच: फिल्म की शैली

फिल्म की कैमरा वर्क बिल्कुल एक डॉक्यूमेंट्री जैसी है — हैंडहेल्ड शूटिंग, अचानक बदलते कोण, बिना संगीत के तनाव। यह आपको नहीं बताती कि डर कैसा होता है — यह आपको उसके अंदर धकेल देती है। लेकिन यहां एक विरोधाभास है। फिल्म इतनी वास्तविक है कि आप इसे असली घटना समझ लेते हैं, लेकिन अंत इतना खाली है कि आपके मन में एक खालीपन बच जाता है। कोई न्याय नहीं, कोई सबक नहीं, कोई बदलाव नहीं। बस एक आदमी गायब हो जाता है।

क्या यह फिल्म आपके लिए है?

क्या यह फिल्म आपके लिए है?

अगर आपको ऐसी फिल्में पसंद हैं जो आपको बताएं कि दुनिया कैसे काम करती है — न कि कैसे होनी चाहिए — तो यह फिल्म आपके लिए है। यह एक नहीं, बल्कि कई सवालों की तरह है: क्या हमारी सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर है? क्या हम उन लोगों को देखते हैं जो आज बाहर खड़े हैं, कल एक ऐपल स्टोर में घुस जाएंगे? और सबसे बड़ा सवाल — जब एक आदमी अपने आप को खो देता है, तो क्या राज्य उसे बचाने के लिए तैयार है?

क्या आगे होगा?

इस फिल्म के बाद अम्स्टर्डैम की पुलिस ने अपनी प्रोटोकॉल में कोई बदलाव नहीं किया है। न ही ऐपल ने अपने स्टोर्स में कोई नई सुरक्षा व्यवस्था लाई। फिल्म बस एक आईना है — और आईना देखने के बाद भी, अगर कोई आंखें मूंद ले, तो वह आईना बेकार हो जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

iHostage फिल्म किस असली घटना पर आधारित है?

फिल्म 2022 में अम्स्टर्डैम के लैइडस्पलेइन ऐपल स्टोर में हुए होस्टेज केस पर आधारित है, जिसमें एक आदमी ने दुकान में घुसकर लोगों को बंधक बना लिया था। घटना के दौरान कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन पुलिस की प्रतिक्रिया पर सवाल उठे थे। फिल्म इसी तनावपूर्ण घटना को नाटकीय रूप देती है।

फिल्म में पुलिस की भूमिका क्यों इतनी नकारात्मक दिखाई गई?

फिल्म के निर्देशक ने जानबूझकर पुलिस को ब्यूरोक्रेटिक, धीमी और निर्णयहीन दिखाया है — जो असली घटना में भी आलोचना का विषय बना था। डच पुलिस ने घटना के बाद अपनी प्रोटोकॉल में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे फिल्म एक सामाजिक आलोचना बन जाती है।

होस्टेज करने वाले की प्रेरणा क्या थी?

फिल्म में उसकी प्रेरणा कोई धार्मिक या राजनीतिक नहीं है — बल्कि व्यक्तिगत विफलता है। वह बेरोजगार है, घर नहीं है, और उसे लगता है कि दुनिया उसे भूल चुकी है। उसकी मांग केवल एक आवाज़ बनने की है — जो एक बड़ी सामाजिक विफलता का संकेत है।

क्या फिल्म ऐपल कंपनी की आलोचना करती है?

हां, लेकिन अप्रत्यक्ष तरीके से। ऐपल स्टोर को एक आधुनिक, शुद्ध, नियंत्रित जगह के रूप में दिखाया गया है — जहां लोग खुश रहते हैं। लेकिन जब वहां एक इंसान टूटता है, तो यह स्टोर उसके लिए कुछ भी नहीं कर पाता। यह टेक्नोलॉजी की विफलता को दर्शाता है — जो इंसानी दर्द को नहीं सुन सकती।

फिल्म का अंत क्यों खाली लगता है?

फिल्म का अंत जानबूझकर खाली रखा गया है — क्योंकि असली जीवन में भी ऐसी घटनाओं के बाद कोई बड़ा बदलाव नहीं होता। कोई सुधार नहीं, कोई न्याय नहीं। यह अंत आपको यही सोचने पर मजबूर करता है: क्या हम इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ कर रहे हैं?

क्या इस फिल्म को ऐपल टीवी प्लस पर देखा जा सकता है?

नहीं। फिल्म का एक ही स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म है — नेटफ्लिक्स। ऐपल टीवी प्लस पर इसे नहीं दिखाया जाएगा, क्योंकि यह फिल्म ऐपल के अपने ब्रांड की छवि के खिलाफ एक सीधा आलोचनात्मक नजरिया पेश करती है।

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