हम सभी भले ही भरपूर तरीके से नाश्ता करें या नहीं, लेकिन जब बात दोपहर के भोजन की आती है, हम सभी बड़ी आस्था और प्यार के साथ खाना का इंतजार करते हैं। दोपहर के भोजन के बारे में चर्चा करते समय, भारतीय व्यंजनों की विविधता को कैसे भूल सकते हैं? इसलिए, मैंने सोचा कि मैं आज आपको इस मौसम में भारतीयों की दोपहर के भोजन की अद्वितीय व्यंजनों के बारे में बताऊं।
क्या आपने कभी सोचा है कि दक्षिण भारत के लोग दोपहर के भोजन में क्या खाते हैं? चिड़ियाघर में बंद हो चुकी साप्ताहिक विशेष पोस्टेयरी से लेकर, दक्षिण भारत के लंच में विविधता का निर्णय करना बेहद कठिन हो सकता है। फिर भी, जब सूर्य दक्षिण में होता है, तो साधारणतया राइस, सांभर, रसम और तमिलाडु की प्रसिद्ध ‘थायिर साडम’ या दही चावल समेत कई व्यंजन होते हैं।
गुजरात और महाराष्ट्र की खासियत उनकी मिठाई और खट्टी स्वादिष्ट व्यंजनों में है। गुजराती लंच में कढ़ी, रोटी, गाजर का हलवा और खीर जैसी मिठाई से लेकर, खट्टा ढोकला, थालीपीठ, और चवलीची उसळ जैसे स्वादिष्ट व्यंजन शामिल होते हैं। वहीं, महाराष्ट्र में वडा पाव, मिसळ पाव, पराठा और सब्जीयां सामान्यतः दोपहर के भोजन का हिस्सा होती हैं।
कैसा हो सकता है कि उत्तर भारत और दोपहर के भोजन की और खोज न करें? वैसे तो यहाँ का भोजन विभिन्न राज्यों और उनके स्वाद के अनुरूप होता है, लेकिन मुख्य रूप से रोटी, दाल, सब्जी, दही और चावल बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। पंजाबी डिशों में छोले भटूरे पसंद करने वालों के लिए कुछ खास होते हैं।
पश्चिम बंगाल में दोपहर का भोजन साधारणतः एक मसालेदार मछली करी, रोज और चावल से बनी होती है। उसके बाद मिठाई के रूप में रसगुल्ला या संधेश परोसा जाता है। असम के लोग साधारणतः दोपहर के भोजन में चावल, पीठा, आठो और भुना मांस पसंद करते हैं।
पिछले साल, जब कलकत्ता में एक साप्ताहिक समारोह में मैं शामिल हुआ, तो मुझे वहाँ की दोपहर के भोजन का स्वाद लेने का मौका मिला। मैंने जो खाना खाया था, वो अद्वितीय था, जिसमें रसगुल्ला, डाल, पोहा, चावल, और मसालेदार मछली की करी शामिल थी। मैंने कभी पहले अपने जीवन में उस प्रकार का भोजन नहीं खाया था। उस भोजन का स्वाद आज तक मेरी जुबां पर है। इसलिए मैं कह सकता हूँ कि भारत के हर कोने में दोपहर के भोजन की अपनी विशेषताएं होती हैं।
तो यह थी भारत के कुछ प्रमुख इलाकों में दोपहर के समय क्या खाना पसंद किया जाता है। यह तो सुनिश्चित है कि देश की विविधता और खान-पान की संस्कृति ने हमें कनिष्ठ से कनिष्ठ खाने के क्षेत्र में अनन्त व्यंजन दिए हैं। जब देखो, सभी जगह धमाका हो जाता है। चाहे वह दक्षिणी मसालेदार दही चावल हो, उत्तरी देसी घी वाली ईंट से ईंट बनी रोटी हो या पश्चिमी कचौड़ी-सब्जी हो, या फिर पूर्वी बंगाली स्वादिष्ट रसगुल्ला, भारतीय भोजन को कोई नहीं बदल सकता।
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