जब हम दशहरा, एक ऐसा हिन्दू त्यौहार जो बुराई पर अच्छाई की जीत को चिन्हित करता है, विजयादशमी की बात करते हैं, तो तुरंत दिमाग में विजयादशमी, दशहराएँ के नौ दिन के अंत का प्रतिक है जहाँ रावण का पाताल में पतन दर्साया जाता है और रामायण, महाकाव्य जिसमें भगवान राम ने रावण को परास्त किया की कहानियाँ जुड़ती हैं। यही कारण है कि दशहरा सिर्फ झांसे और चित्रावली नहीं, बल्कि एक सामाजिक‑धार्मिक संवाद है। रावण, धर्मयुद्ध के प्रमुख प्रतिपक्षी, जिसकी गोलियों की कहानी हर शाम के मंच पर दोहराई जाती है के स्वरूप में यह त्योहार हमें नैतिकता के कई पहलू दिखाता है। दशहरा का मूल उद्देश्य धर्मयुद्ध (सही और गलत के बीच का संघर्ष) को दर्शाना है – यह अवधारणा धर्मयुद्ध, समाज में नैतिकता के पक्ष को स्थापित करने वाला संघर्ष के साथ गहरी तरह जुड़ी है। इतिहास में, अयोध्या के राजा राम ने अपने पिता की पवित्रता बचाने के लिये रावण को पराजित किया, और उसकी यह जीत दशहरा के रूप में मनाई जाती है। इस प्रकार दशहरा, विजयादशमी का समुच्चय रामायण, परम्परागत ग्रंथ में वर्णित संघर्ष को सजीव करती है। यही कारण है कि कई क्षेत्रों में रावण के बड़े पुतले बनाकर उन्हें जलाया जाता है – यह संकेत देता है कि बुराई का अंत नज़रों के सामने ही हो रहा है।
आज का दशहरा परम्परागत पुतले जलाने से परे कई रंग दिखाता है। उत्तर भारत में दशहरा हंडिया, जुलूस और द्रव्य कटाक्ष का मंच बन जाता है, वहीं दक्षिण में पुतला प्रदर्शन और पावन नृत्य प्रमुख होते हैं। हर राज्य अपनी सांस्कृतिक झलक जोड़ता है: गुजरात में रावण के पुतले पर अभी भी प्रतिपक्षी के चारों ओर एकजुटता के गान गाए जाते हैं, जबकि पन्नीवाल में दशहरा एक नाट्य‑दृष्टि बन जाता है जहाँ स्थानीय कलाकार अपनी कला प्रस्तुत करते हैं। इस विविधता से स्पष्ट होता है कि दशहरा, भिन्न‑भिन्न सामाजिक परतों में अलग‑अलग अभिव्यक्ति की अनुमति देता है। समय के साथ, दशहरा ने आधुनिक तकनीक को भी अपनाया है – डीजीटल पुतले, लाइट शो और सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीमिंग ने उत्सव को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों तक पहुँचाया है। युवा वर्ग अब इस त्यौहार को केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं मानता, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का अवसर मानते हैं। इस परिवर्तन में विजयादशमी, उत्सव का अंतिम दिन, नई पीढ़ी को अपने मूल्यों से जोड़ता है और रामायण, आधुनिक नैतिकता के स्रोत की शिक्षा को पुनः प्रकट करता है। यदि आप इस पेज पर आगे स्क्रॉल करेंगे तो देखेंगे कि दशहरा से जुड़ी विभिन्न खबरें, विश्लेषण और सामयिक अपडेट्स कैसे इस नाना‑पृष्ठ पर प्रस्तुत हैं। चाहे वह परम्परागत पुतले जलाने की फोटो हो, या नई तकनीकी प्रयोगों की कहानियां, यहाँ आपको एक ही जगह सब मिलेगा—ताकि आप अपने आप को इस महाकाव्य उत्सव से जोड़े रखें।
राजस्थान के सभी सरकारी स्कूल 26‑28 व 30 सितंबर 2025 को नवरात्रि‑दशहरा अवकाश के कारण बंद रहेंगे, जिससे 8 मिलियन से अधिक छात्र इस विशेष अवधि में भाग ले सकेंगे।
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