जब मुश्फिकुर रहीम ने 6 मार्च, 2025 को फेसबुक पर अपनी ओडीआई संन्यास की घोषणा की, तो बस एक हफ्ता बीता था जब 2025 आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का अंत हुआ था — जहां बांग्लादेश क्रिकेट टीम ने एक भी मैच नहीं जीता। ये घोषणा सिर्फ एक खिलाड़ी के संन्यास की नहीं, बल्कि बांग्लादेश क्रिकेट के एक पूरे युग के समाप्त होने की थी। 37 साल के रहीम ने 274 ओडीआई मैचों में 7,795 रन बनाए, जो देश के लिए दूसरे सबसे ज्यादा हैं। उनके नौ शतक और 49 अर्धशतकों ने एक ऐसी पीढ़ी को संगठित किया जिसने बांग्लादेश को ‘मिनोउ’ से एक गंभीर प्रतिद्वंद्वी में बदल दिया।
एक युग की शुरुआत ट्रिनिडाड में
रहीम का क्रिकेट इतिहास 17 मार्च, 2007 को शुरू हुआ — जब उन्होंने 2007 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में भारत के खिलाफ ट्रिनिडाड में एक अहम अर्धशतक बनाया। उस मैच में बांग्लादेश ने भारत को हराया था, और रहीम ने अपने आप को एक अहम मध्यक्रम बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर दिया। उस दिन के बाद वह कभी टीम से बाहर नहीं हुए — बस 2008 में एक छोटी अवधि के लिए उनकी जगह बदल गई थी। उनकी सबसे बड़ी पारी 2015 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 159 रन थी, जो अब तक उनका ओडीआई शीर्ष स्कोर है।
विकेटकीपरों की अनूठी लीग
रहीम दुनिया के केवल पांच ऐसे विकेटकीपर हैं जिन्होंने 250 से अधिक ओडीआई मैच खेले हैं। उनके सात शतक विकेटकीपरों के बीच चौथे स्थान पर हैं — कुमार संगकारा (12), एडम गिलक्रिस्ट (17) और एमएस धोनी (10) के बाद। ये आंकड़े उनकी लगातारता और बल्लेबाजी की गुणवत्ता को दर्शाते हैं। बांग्लादेश के लिए विकेटकीपर के रूप में उनके कुल 308 डिस्मिसल्स का रिकॉर्ड अभी तक टूटने का नाम नहीं ले रहा। वह बस एक विकेटकीपर नहीं थे — वह टीम की आत्मा थे।
संन्यास का तात्कालिक कारण: चैम्पियंस ट्रॉफी का विफलता
2025 चैम्पियंस ट्रॉफी का अभियान बांग्लादेश के लिए एक झटका था। दुबई और पाकिस्तान में आयोजित इस टूर्नामेंट में टीम ने तीनों मैच हार दिए। कोई जीत नहीं। कोई उम्मीद नहीं। यह निष्कर्ष रहीम के लिए अंतिम बिंदु बन गया। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘मैंने अपना बेहतरीन दिया है। अब यह समय है कि नई पीढ़ी आगे बढ़े।’ उनका ये फैसला बिल्कुल नए नहीं था — बल्कि एक निश्चित अंत का इंतजार किया जा रहा था।
एक साथ चले गए तीन दिग्गज
रहीम के संन्यास से पहले, तमीम इकबाल ने जनवरी 2025 में अपना दूसरा संन्यास घोषित किया था। 36 साल के तमीम ने 243 ओडीआई मैचों में 8,357 रन बनाए थे। अब वह बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के निदेशक के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसके अलावा, महमूदुल्लाह ने भी फरवरी 2025 में टी20ई से संन्यास ले लिया। ये तीनों खिलाड़ी — रहीम, तमीम और महमूदुल्लाह — ने एक साथ बांग्लादेश क्रिकेट के लगभग 40 साल का अनुभव दिया।
बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड का नया चुनौती
बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड अब एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। इन दिग्गजों के बाद टीम में अनुभव का अभाव है। युवा खिलाड़ियों जैसे शुबहान इस्लाम, शाकिब अल हसन और नजमुल हुसैन को अब टीम का नेतृत्व करना होगा। 2026 टी20 विश्व कप और 2027 विश्व कप के लिए यह बदलाव बहुत जरूरी है। लेकिन सवाल यह है — क्या नई पीढ़ी इन दिग्गजों के खेल के भाव को समझ पाएगी?
प्रशंसकों की भावनाएं: एक अलग युग का अंत
बांग्लादेश के दर्शकों के लिए रहीम केवल एक बल्लेबाज नहीं थे। वह एक अहसास थे — जब टीम गिर रही होती, तो वह टिके रहते। जब बाकी खिलाड़ी डर रहे होते, तो वह आगे बढ़ते। उनकी टीम के लिए जीत का रास्ता बनाने का तरीका था। एक फैन ने ट्विटर पर लिखा, ‘हमने उनके बिना जीत नहीं देखी। अब वह चले गए, लेकिन उनकी आवाज हमारे दिल में रहेगी।’
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मुश्फिकुर रहीम के संन्यास के बाद बांग्लादेश के लिए ओडीआई टीम का भविष्य क्या है?
रहीम के बाद बांग्लादेश की ओडीआई टीम में अनुभवी बल्लेबाजों का अभाव है। शाकिब अल हसन अब टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं, लेकिन उनकी उम्र भी 37 है। युवा बल्लेबाज जैसे शुबहान इस्लाम और नजमुल हुसैन को जल्दी से जिम्मेदारी संभालनी होगी। बीसीबी के अनुसार, अगले 12 महीनों में टीम के लिए एक नया बल्लेबाजी क्रम तैयार किया जाएगा।
रहीम के संन्यास का टेस्ट क्रिकेट पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
रहीम अभी भी टेस्ट क्रिकेट में सक्रिय हैं। उन्होंने अभी तक टेस्ट संन्यास की घोषणा नहीं की है। हालांकि, उनके ओडीआई से निकलने से टेस्ट में भी उनकी भूमिका कम हो सकती है। बीसीबी के स्रोतों के अनुसार, वे अगले 12-18 महीनों में टेस्ट टीम से धीरे-धीरे निकल सकते हैं।
रहीम के संन्यास के बाद बांग्लादेश के लिए विकेटकीपर के लिए कौन उम्मीदवार हैं?
अभी तक बांग्लादेश के लिए कोई एक अच्छा विकेटकीपर उभर नहीं पाया है। अब युवा खिलाड़ियों में अब्दुल लतीफ और शाकिब अल हसन के बेटे शाकिब रहीम (अलग व्यक्ति) को देखा जा रहा है। लेकिन रहीम के जैसा बल्लेबाज-विकेटकीपर ढूंढना मुश्किल होगा।
तमीम इकबाल और महमूदुल्लाह के संन्यास ने बांग्लादेश क्रिकेट पर क्या प्रभाव डाला?
तमीम और महमूदुल्लाह के संन्यास ने बांग्लादेश क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में अनुभव का बड़ा खालीपन पैदा किया। तमीम के बाद ओपनिंग बल्लेबाजी का लंबा समय तक अस्थिर रहेगा। महमूदुल्लाह के बाद टी20 में अंतिम ओवरों का नियंत्रण भी सवाल में है। इसका असर आगामी टूर्नामेंट्स में दिखेगा।

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