जब कुन्नाल कामरा, स्टैंड‑अप कॉमेडियन को बुक माय शो ने प्लेटफ़ॉर्म से हटाया, तो भारत की मनोरंजन दुनिया में जमी आवाज़़ें कंपनियों और राजनैतिक पार्टियों की टाइड में फिसल रही थीं। यह कदम बुक माय शो ने 5 अप्रैल 2025 को उठाया, कुछ दिनों पहले शिवसेना के युवा नेता रहूल कलँ के दुहराए गए दबाव के बाद। इसके पीछे का कारण? फरवरी 2025 में कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ‘देशभक्त’ की राह से हटाकर ‘विश्वासघाती’ कह दिया था—बिना उनका नाम लिये सीधे‑सीधे व्यंग्य में।
कुन्नाल कामरा ने 2017 से बुक माय शो के ज़रिए अपने शो की टिकटें बेचीं, और मंच पर अधिकारों को लेकर अक्सर स्याही‑सी बात की। 2020‑21 में उन्होंने प्रधानमंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं को टार्गेट किया, जिससे कई बार FIR दर्ज़ हो चुका था। ऐसा ही एक केस 2023 में दिल्ली में हुआ था, जहाँ पुलिस ने उन्हें ‘सार्वजनिक शांति को बाधित करने’ के आरोप में हिरासत में लिया था।
फरवरी 2025 के मध्य में हैबिटेट स्टूडियो में स्टैंड‑अपखर के हैबिटेट स्टूडियो पर कामरा ने ‘अंधविश्वास और राजनीति का तमाशा’ कहा, जिसमें एकनाथ शिंदे का उल्लेख ‘देशभक्त से धोखेबाज़’ के रूप में किया गया। यह टिप्पणी तुरंत शिवसेना (शिंदे फ्रीक्शन) के आँकों में घुस गई।
शिवसेना के युवा मोर्चे के मुखिया रहूल कलँ ने बुक माय शो को एक औपचारिक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा, “एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर मैं यह लेटर लिख रहा हूँ… कामरा का मंच देना सार्वजनिक शांति को खतरा बन सकता है।” उन्होंने बुक माय शो से मांग की कि वह कामरा के शो को पूरी तरह से ब्लॉक कर दे।
पत्र मिलने के दो दिनों बाद, बुक माय शो ने अपना बयान जारी किया: “हम एक प्लेटफ़ॉर्म हैं, हमारा काम टिकट बिक्री को सुगम बनाना है। लिस्टिंग या डिलीस्टिंग का निर्णय आयोजक या वेन्यू का होता है।” कंपनी ने सीधे तौर पर कामरा के डिलीस्टिंग का उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि उनका कदम कलँ के दबाव के कारण था।
डिलीस्टिंग के जवाब में कामरा ने X (पहले ट्विटर) पर विनम्र लेकिन गंभीर स्वर में लिखा, “Hello @bookmyshow, can you please confirm if I have your platform to list my shows? If not, it's fine.” आगे उन्होंने बुक माय शो से अपने 2017‑2025 के दर्शक डेटा के हस्तांतरण की मांग की, यह बताते हुए कि “हम कलाकारों को अपने दर्शकों से जुड़ने के लिए 6,000‑10,000 रुपये प्रतिदिन खर्च करना पड़ता है।”
कुन्नाल के समर्थन में कई कलाकारों और सिविल सोसाइटी समूहों ने आवाज़ उठाई। मुंबई के एक बैंकर, जो उस शो में शामिल था, को पुलिस ने बुला कर छुट्टी रद्द करवाई—यह घटना दर्शकों में भय का माहौल पैदा कर रही थी।
यह मामला सिर्फ एक कॉमेडियन और एक टिकटिंग कंपनी के बीच नहीं रहा; यह भारत में मुक्त अभिव्यक्ति, राजनीतिक व्यंग्य और निजी प्लेटफ़ॉर्म के दायित्वों को लेकर एक बड़ा बहस बन गया। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि बड़े प्लेटफ़ॉर्म ‘पारदर्शिता’ नहीं दिखाएँगे, तो कलाकारों को आत्म-सेंसरशिप करनी पड़ेगी।
कई भाषा‑विज्ञानी और संविधानविद् ने कहा कि “शब्द की आज़ादी को सीमित करना तभी जायज़ है जब वह सीधे‑सीधे सार्वजनिक शांति को नुकसान पहुँचाए।” वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि “शिवसेना का यह कदम दर्शाता है कि स्थानीय ताक़तें अब डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को भी अपने नियंत्रण में लेना चाहती हैं।”
आगे देखते हुए, बुक माय शो को अपनी नीतियों को स्पष्ट करना होगा—क्या वह केवल आयोजकों को सेवा देगा या किन परिस्थितियों में किसी कलाकार को ‘डिलीस्ट’ करेगा? इस ही प्रश्न पर अगले महीनों में नियामक संस्थाएँ भी चर्चा कर सकती हैं।
शिवसेना के युवा नेता रहूल कलँ ने बुक माय शो को कई बार लिखा, जहाँ उन्होंने कामरा के दक्षिणी राजनेताओं के व्यंग्य को ‘सामाजिक शांति के लिए खतरा’ बताया। इस दबाव के बाद बुक माय शो ने 5 अप्रैल को उसे प्लेटफ़ॉर्म से हटाया।
कंपनी ने कहा कि वह ‘न्यूट्रल प्लेटफ़ॉर्म’ है और लिस्टिंग या डिलीस्टिंग का फैसला आयोजकों या वेन्यू का होता है। उन्होंने विशिष्ट कारणों का उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह स्पष्ट हुआ कि यह निर्णय राजनीति से प्रभावित था।
यदि प्लेटफ़ॉर्म राजनीतिक दबाव के तहत कलाकारों को ब्लॉक करना जारी रखते हैं, तो कई कॉमेडियन स्वयं को सेंसरशिप से बचाने के लिए अपना कंटेंट बदल सकते हैं। इससे स्टैंड‑अप की स्वतंत्रता और दर्शकों की विविधता दोनों ही सीमित हो सकती है।
कामरा ने बताया कि 2017‑2025 के बीच बुक माय शो ने उसकी शो‑टिकट बुकिंग से लाखों दर्शकों का डेटा इकट्ठा किया है। डिलीस्टिंग के बाद वह इस डेटा तक पहुंच नहीं पा रहा, जिससे उसकी प्रचार‑प्रसार और आय दोनों पर असर पड़ रहा है।
नियामकों को प्लेटफ़ॉर्म की ‘डिलीस्टिंग नीति’ को पारदर्शी बनाना पड़ेगा, साथ ही कलाकारों को डेटा एक्सेस के अधिकारों को स्पष्ट करना होगा। इस दिशा में कोर्ट या सूचना अधिकार (RTI) के अनुरोधों का उपयोग किया जा सकता है।
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